वन
उत्कृष्ट मिश्रण होना द्यवन है। अर्थात् आत्मा की सम्यग्दर्शनादिरूप परिणति होना उद्यवन शब्द का अर्थ है । प्रश्न – सम्यग्दर्शनादि तो आत्मा से अभिन्न हैं तब उनका उसके साथ सम्मिश्रण होना कैसे कहा जा सकता हैं ? उत्तर- यहाँ पर उद्यवन शब्द का सामान्य सम्बन्ध ऐसा अर्थ समझना चाहिये अर्थात् बारम्बार सम्यग्दशर्नादि गुणों से आत्मा परिणत हो जाना उद्यवन शब्द का अर्थ है । दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप इन चारों आराधनाओं में लगने वाले मल के दूर करने को उद्योत कहते हैं। इन्हीं में इनके आराधक के नित्य एकतान होकर रहने को उद्यवन कहते हैं ।