आजीविका
जो मुनि ज्योतिष शास्त्र से या किसी अन्य विद्या से या मंत्र – तंत्रों से अपनी आजीविका करता है, जो वेश्यों से व्यवहार करता है और धनधन्यादि सबका ग्रहण करता है, वह मुनि समस्त मुनियों को दूषित करने वाला हे। कई निद्य, निर्लज्ज साधुपन में भी अतिशय निन्दा योग्य कार्य करते हैं, वे समीचीन मार्ग का विरोध करके नरक में प्रवेश करते हैं। जैसे— कोई अपनी माता को वेश्या बनाकर धनोपार्जन करते हैं वैसे ही जो मुनि होकर उस मुनि दीक्षा को जीवन का उपाय बनाते हैं और उसके द्वारा धनोपार्जन करते हैं वे अतिशय निद्रय और निर्लज्ज है।