आगम
जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए समस्त पदार्थों को प्रकाशित करने वाले वचन को आगम कहते हैं। आगम, सिद्धान्त और प्रवचन ये एकार्थवाची शब्द हैं। आगम की छह विशेषताएँ होती है – जो आप्त (वीतराग सर्वज्ञ ) के द्वारा कहा गया हो, किसी के द्वारा जिसका खण्डन करना संभव न हो, प्रत्यक्ष अनुमानादि प्रमाणों से विरोध – रहित हो, वस्तु-स्वरूप का उपदेश करने वाला हो, सब जीवों का हित करने वाला हो और मिथ्यामार्ग से बचाने वाला हो वह आगम है। आगम का व्याख्यान करते समय पाँच बातों का विचार करना चाहिए – शब्द का ठीक अर्थ बताने रूप शब्दार्थ जानना चाहिए। व्यवहार निश्चय-नय रूप से नयार्थ जानना चाहिए। साँख्य, बौद्ध आदि विभिन्न मतों के संदर्भ में विचार करने रूप मतार्थ जानना चाहिए। परमागम और आचार्य परम्परा से विरोध न आवे इस प्रकार आगमार्थ जानना चाहिए तथा हेय उपादेय के व्याख्यान रूप से भावार्थ जानना चाहिए। इस प्रकार शब्दार्थ, नयार्थ, मतार्थ, आगमार्थ तथा भावार्थ को व्याख्यान के समय यथासंभव सर्वत्र जानना चाहिए।