लघु जैन सिद्धांत कोश – Accordion
लघु जैन सिद्धांत कोश
लघु जैन सिद्धांत कोश – Main Accordion
लघु जैन सिद्धांत कोश – Accordion Part 2 – द्रव्य
जीव द्रव्य में चैतन्य (दर्शन-ज्ञान), सम्यक्त्व, चारित्र, सुख,क्रियावतीशक्ति ' इत्यादि; पुद्गल द्रव्य में स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, क्रियावतीशक्तिइत्यादि; धर्म द्रव्य में गतिहेतुत्व इत्यादि; अधर्म द्रव्य में स्थितिहेतुत्व इत्यादि:आकाश द्रव्य में अवगाहनहेतुत्व इत्यादि एवं काल द्रव्य में परिणमनहेतुत्वइत्यादि विशेष गुण हैं।
दो भेद हैं - 4. परमाणु और 2. स्कन्ध |
जिसका दूसरा विभाग नहीं हो सकता - ऐसे सबसे सूक्ष्म पुद्गल को परमाणु कहते हैं।
दो या दो से अधिक परमाणुओं के बन्ध को स्कन्ध कहते हैं।
जिस सम्बन्धविशेष से अनेक वस्तुओं में एकपने का ज्ञान होता.है, उस सम्बन्धविशेष को बन्ध कहते हैं।4. जीव और पुद्गल में क्रियावतीशक्ति नाम का गुण नित्य है, उसके कारणअपनी-अपनी योग्यतानुसार कभी क्षेत्रान्तररूप पर्याय होती है, कभी स्थिररहनेरूप पर्याय होती है। कोई द्रव्य (जीव या पुदूगल) एक-दूसरे को गमन यास्थिरता नहीं करा सकते, दोनों द्रव्य अपनी-अपनी क्रियावतीशक्ति की उस. समय की योग्यता के अनुसार स्वतः गमन करते हैं या स्थिर होते हैं।
जो पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) शब्दरूप से परिणमित होता है,उसे भाषा वर्गणा कहते हैं।
जिस पुद्गलस्कन्ध (वर्गणा) से कार्माण शरीर वर्गणा बनता . है, उसे कार्माण वर्गणा कहते हैं |