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परसमय

  • Posted by kundkund
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  • Date January 20, 2016
  • Comments 0 comment

जितने भी वचन -मार्ग हैं, उतने ही नयवाद, अर्थात्‌ नयके भेद हैं। और जितने नयवाद हैं, उतने ही परसमय हैं ॥ ८७ ॥ – षट खंडागम

Tag:षटखंडागम

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