✅उत्तर – वस्तु के अशुद्ध स्वरूप को ग्रहण करने वाले ज्ञान को व्यवहारनय कहते हैं। प्रश्न- व्यवहारनय से जीव का लक्षण बताइये? ✅उत्तर – जिसमें तीनों कालों में चार प्राण पाये जाते हैं, व्यवहारनय से वह जीव है।
बाहर में क्षेत्र वास्तु आदि का और अभ्यंतर में कषाय आदि का अथवा नित्य व अनियत काल के लिए शरीर का त्याग करना व्युत्सर्ग तप या व्युत्सर्ग प्रायश्चित्त है। व्युत्सर्ग प्रायश्चित्त का अपर नाम कायोत्सर्ग है जो दैवसिक, रात्रिक, चातुर्मासिक …