आस्रव : जीव के द्वारा प्रतिक्षण मन से, वचन से या काय से जो कुछ भी शुभ या अशुभ प्रवृत्ति होती है उसे जीव का भावास्रव कहते हैं। उसके निमित्त से कोई विशेष प्रकार की जड़-पुद्गल वर्गणाएँ आकर्षित होकर उसके …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now