साधुओं को दीक्षा शिक्षा दायक, उनके दोष निवारक, तथा अन्य अनेक गुण विशिष्ट, संघ नायक साधु को आचार्य कहते हैं। वीतराग होने के कारण पंचपरमेष्ठी में उनका स्थान है। इनके अतिरिक्त गृहस्थियों को धर्म-कर्म का विधि-विधान कराने वाला गृहस्थाचार्य है। …
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