आचार्य.कुंदकुंद (ई.127-179) कृत महान् आध्यात्मिक कृति। इसमें 415 प्राकृत गाथाएँ निबद्ध हैं। इस पर निम्न टीकाएँ उपलब्ध हैं‒1. आचार्य अमृतचंद्र (ई.905-955) कृत आत्मख्याति। 2. आचार्य जयसेन (ई.श.12-13) कृत तात्पर्यवृत्ति। 3. आचार्य प्रभाचंद नं.5 (ई.950-1020) कृत। 4. पं.जयचंद छाबड़ा (ई.1807) कृत …