भाव-पाहुड + मंगलाचरण कर ग्रन्थ करने की प्रतिज्ञा – णमिऊण जिणवरिं दे णरसुरभवणिंदवंदिए सिद्धे वोच्छामि भावपाहुडमवसेसे संजदे सिरसा ॥1॥ नमस्कृत्य जिनवरेन्द्रान् नरसुरभवनेन्द्रवंदितान् सिद्धान् । वक्ष्यामि भावप्राभृतमवशेषान् संयतान् सिरसा ॥१॥ सुर-असुर-इन्द्र-नरेन्द्र वंदित सिद्ध जिनवरदेव अर । सब संयतों को नमन कर …