जीवों की कषायों की विचित्रता सामान्य बुद्धि का विषय नहीं है। आगम में वे कषाय अनंतानुबंधी आदि चार प्रकार की बतायी गयी हैं। इन चारों के निमित्त-भूत कर्म भी इन्हीं नाम वाले हैं। यह वासना रूप होती हैं व्यक्त रूप …
“non-declaration” or “non-disclosure”. प्रत्याख्यान संयम को कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है वह अप्रत्याख्यान है। संयमासंयम के अर्थ में – धवला पुस्तक 6/1,9-1,23/43/3 प्रत्याख्यानं संयमः, न प्रत्याख्यानमप्रत्याख्यानमिति देशसंयमः = प्रत्याख्यान संयम को कहते हैं। जो प्रत्याख्यान रूप नहीं है …
“disintegration” or “separation”. उपशम व क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्ति विधि में अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ का अप्रत्याख्यानादि क्रोध, मान, माया, लोभ रूप से परिणमित हो जाना विसंयोजना कहलाता है। विसंयोजना का लक्षण कषायपाहुड़/2/2-22/246/219/6 का विसंयोजना।अणंताणुबंधिचउक्कक्खंधाणं परसरूवेण परिणमनं विसंयोजना।= अनंतानुबंधी चतुष्क के स्कंधों …