गुरुदेव कानजी स्वामी का जीवन परिचय
अंतराय नाम विघ्न का है। जो कर्म जीव के गुणों में बाधा डालता है, उसको अंतराय कर्म कहते हैं। साधुओं की आहारचर्या में भी कदाचित् बाल या चिंटी आदि पड़ जाने के कारण जो बाधा आती है उसे अंतराय कहते हैं। दोनों ही प्रकार के अंतरायों के भेद-प्रभेदों का कथन इस अधिकार में किया गया है।