अनंत धर्मात्मक होने के कारण वस्तु बड़ी जटिल है (देखें अनेकांत-2.4)। उसको जाना जा सकता है, पर कहा नहीं जा सकता। उसे कहने के लिए वस्तु का विश्लेषण करके एक-एक धर्म द्वारा क्रम पूर्वक उसका निरूपण करने के अतिरिक्त अन्य …
Condemnation सच्चे या झूठे दोषों को प्रगट करने की इच्छा निंदा है। निंदा व निंदन का लक्षण सर्वार्थसिद्धि/6/25/339/12तथ्यस्य वातथ्यस्य वा दोषस्योद्भावनं प्रति इच्छा निंदा।=सच्चे या झूठे दोषों को प्रगट करने की इच्छा निंदा है। ( राजवार्तिक/6/25/1/530/28 )। समयसार / तात्पर्यवृत्ति/306/388/12आत्मसाक्षिदोषप्रकटनं निंदा।=आत्मसाक्षी पूर्वक …