सत् असत् की तरह पर्यायार्थिक नय की अपेक्षा देखने पर प्रत्येक पर्याय में वह सत् अन्य रूप दिखने के कारण अतत् रूप भी है।
तत्त्व स्वरूप न होने रूप तीसवीं अतत्त्व शक्ति है। अतद्भाव अतद्भाव अन्यत्व है। जो स्वरूप न हो वह एक कैसे हो सकता है स्वरूपपेक्षा से जो द्रव्य है वह गुण नहीं है और जो गुण है वह द्रव्य नहीं है …