संप्रदान कारक
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1. कर्म जिसको देने में आवे अर्थात् जिसके लिए करने में आवें सो सम्प्रदान । 2. अभिन्न कारक की व्यवस्था से सम्प्रदान का प्रयोग स्वयं ही अपने (परिणमन स्वभाव रूप) कर्म के द्वारा समाश्रित होने से सम्प्रदानता को धारण करता है ।
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