संघावर्णवाद
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‘दिगम्बर जैन साधु शूद्र होते हैं, मलिन शरीर वाले ये साधु नग्न व निर्लज्ज हैं, इस लोक और परलोक में कष्ट पाते हैं, साधु-संघ के विषय में ऐसा कहना संघावर्णवाद है।
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