संख्या
संख्या से भेदों की गणना ली जाती है सत् प्ररूपणा में जो पदार्थों का अस्तित्व कहा गया है उनके प्रमाण का वर्णन करने वाली संख्या प्ररूपणा है जैसे मिथ्यादृष्टि द्रव्य की अपेक्षा अनन्तानन्त (मध्यम) काल की अपेक्षा अनन्तान्त उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी के द्वारा अपहृत नहीं होते अर्थात् अनन्तानन्त अवसर्पिणी व उत्सर्पिणी के सब समय समाप्त हो जाए परन्तु मिथ्यादृष्टि जीव राशि का प्रमाण समाप्त नहीं होता। क्षेत्र की अपेक्षा अनन्तानन्त लोक प्रमाण मिथ्यादृष्टि जीवराशि का प्रमाण है इसी प्रकार सभी गुणस्थानों व वर्गणाओं में प्ररूपण की जाती है।