षडावश्यक
सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग, ये छः आवश्यक सदा करने चाहिए। जो कषाय, राग-द्वेष आदि के वशीभूत न हो, वह अवश है, उस अवश का जो आचरण, वह आवश्यक है। श्रावक के षट् आवश्यक इस प्रकार हैं- सामायिक, स्तवन, वन्दना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, कायक्लेश । जिनपूजा, गुरु की सेवा, स्वाध्याय, संयम, तप और दान ये छः कर्म गृहस्थों के लिए प्रतिदिन के करने योग्य आवश्यक कार्य हैं ।