शिक्षागुरु
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देश व सकल इन दोनों प्रकार के संयम के छेद की शुद्धि के अर्थ प्रायश्चित्त देकर संवेग और वैराग्यजनक परमागम के वचनों के द्वारा साधु का संवरण करते है वे निर्यापक हैं उन्हें ही शिक्षागुरु या सतगुरु भी कहते हैं ।
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