शान्तिनाथ
ये सोलहवें तीर्थंकर और पाँचवे चक्रवर्ती थे। हस्तिनापुर के कुरूवंशी राजा विश्वसेन इनके पिता और गान्धार नगर के राजा अजितंजय की पुत्री ऐरा इनकी माता थीं। इनकी आयु एक लाख वर्ष, ऊँचाई चालीस धनुष और शरीर की कान्ति स्वर्ण के समान थी । कुमार काल के पच्चीस हजार वर्ष बीत जाने पर इनका राज्याभिषेक हुआ। एक दिन दप्रण में अपने दो प्रतिबिंब देखकर इन्हें वैराग्य हो गया । तब चक्रवर्ती का विपुल वैभव छोड़कर इन्होंने जिनदीक्षा ले ली। सोलह वर्ष की तपस्या के उपरान्त इन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ । इनके संघ में छत्तीस गणधर, बावन हजार मुनि, साठ हजार तीन सौ आर्यिकाएँ, दो लाख श्रावक व चार लाख श्राविकाएँ थीं। इन्होंने सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया ।