शब्द प्रमाण
जो शब्द रूप होता है और शब्दन शब्द है। जो अर्थ को शब्द अर्थात् कहता है, जिसके द्वारा अर्थ कहा जाता है या शपन मात्र है वह शब्द है। जिस समय प्रधान रूप से द्रव्य विवक्षित होता है। उस समय इन्द्रियों के द्वारा द्रव्य का ही ग्रहण होता है। उससे भिन्न स्पर्शादिक कोई चीज नहीं है। इस विवक्षा में शब्द के कर्म साधन पना बन जाता है। जैसे- शब्द्यते अर्थात् जो ध्वनि रूप हो वह शब्द है। तथा जिस समय प्रधान रूप से पर्याय विवक्षित होती है उस समय द्रव्य से पर्याय का भेद सिद्ध होता है।अतएव उदासीन रूप से भाव का कथन किया जाने से शब्द भाव साधन भी है। जैसे- शब्दम् शब्द अर्थात् ध्वनि रूप क्रिया धर्म को शब्द कहते हैं। बाह्य श्रवणेन्द्रिय द्वारा अवलम्बित भावेन्द्रिय द्वारा जानने योग्य ऐसी जो ध्वनि वह शब्द है । भाषा रूप शब्द और अभाषा रूप इस प्रकार शब्दों के दो भेद हैं । अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं- प्रायोगक और वैस्रसिक। तथा तत्, वितत् घन और सौषिर के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार का है। मेघ आदि के निमित्त से जो शब्द उत्पन्न होते हैं वे वैस्रसिक शब्द हैं।