व्याख्या
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निर्दोष ग्रन्थ उसके अर्थ का उपदेश अथवा दोनों ही उसके पात्र को प्रदान करना वाचना या व्याख्या कहलाती है। नन्दा, भद्रा, जया और सौम्या, चार प्रकार की व्याख्याएँ कही गयी है।
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