विरुद्धहेत्वाभास
जिस हेतु को व्याप्ति या अविनाभाव सम्बन्ध साध्य से विपरीत के साथ निश्चित हो, उसे विरुद्ध हेत्वाभास कहते हैं। जैसे- शब्द परिणामी नहीं है क्योंकि कृतक है। यहाँ पर कृतकत्व हेतु की व्याप्ति अपरिणामित्व से विपरीत परिणामित्व के साथ है इसलिए कृतकत्व हेतु विरुद्ध हेत्वाभास है। जिस सिद्धांत को स्वीकार करके प्रवृत्त हो, उसी सिद्धांत का जो विरोधी हो वह विरुद्ध हेत्वाभास है। विरुद्ध हेत्वाभास दो प्रकार का है- विपक्षव्यापी, तदेकदेशवृत्ति। निरूवय विनाश के साधन सत्व कृतकत्व आदि विपक्षव्यापी है क्योंकि उनसे निरन्वय विनाश के विपक्षी परिणाम की सिद्धि होती है। सभी परिणामी वस्तुओं में सत्व पाया जाता है। तदेकत्व देशवृत्ति इस प्रकार है जैसे कि उसी शब्द को नित्य सिद्ध करने के लिए दिया गया प्रयत्नान्तरीयकत्व व श्रावणत्व हेतु क्योंकि वे विद्युत आदि अनित्य पदार्थों में भी उसका अभाव है।