वातवलय
वृक्ष की त्वचा के समान समस्त लोक को घेरे हुए तीन वातवलय हैं। सघन – वायु का वलय घनवातवलय कहलाता है, जलमिश्रित वायु का वलय घनोदधि के नाम से जाना जाता है तथा विरल वायु का वलय तनुवातवलय कहलाता है। सबसे पहले घनोदधि वातवलय लोक का आधार है, उसे घेरे हुए घनवातवलय और उसके उपरांत तनुवातवलय है। इस तरह समूचा लोक तीन वातवलयों से घिरा – है और अलोकाकाश के मध्य स्थित है।