रति
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रमने को रति कहते हैं। जिसके द्वारा जीव विषयों आसक्त होकर रमता है, उसे रति कहते हैं। अथवा जिस कर्म के उदय से द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावों में रुचि या राग उत्पन्न होता है, उसे रति कहते हैं । अथवा मनोहर वस्तुओं में परम प्रीति का नाम रति है। यह नव नो-कषायों में से एक नो-कषाय है।
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