युति
समीपता या संयोग का नाम युति है। द्रव्य युति तीन प्रकार की है- जीवयुति, पुद्गलयुति और जीवपुद्गल युति । यदि इनमें से एक कुल, ग्राम, नगर, बिल, गुफा या अटवी में जीवों का मिलना जीव युति है। वायु के कारण मिलने वाले पत्तों के समान एक स्थान पर पुद्गलों का मिलना पुद्गल युति है। जीव व पुद्गलों का मिलना जीव पुद्गल युति है। अथवा जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल इनके एकादि संयोग के द्वारा द्रव्य युति उत्पन्न करनी चाहिए। जीवादि द्रव्यों का नारकादि क्षेत्रों के साथ मिलना क्षेत्र युति है। उन्हीं द्रव्यों का दिन, महीना और वर्ष आदि कालों के साथ मिलाप होना कालयुति है। क्रोध – मान-माया – लोभ आदि के साथ उनका मिलाप होना भाव युति है । एकीभाव का नाम बन्ध है और समीपता या संयोग का नाम युति है यही दोनों में अन्तर है।