मासैकवासता
बसंत आदि छः ऋतुओं में से एक–एक ऋतु में एक मास पर्यंत एक स्थान में मुनि निवास करते हैं और एक मास बिहार करते हैं, यह नौवी स्थिति कल्प है। एक ही स्थान में चिरकाल से उद्गम आदि दोषों का परिहार नहीं हो सकता। वसतिका पर प्रेम, सुख में लंपटता, आलस, सुकुमारता की भावना आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इनके यहाँ पूर्व में आहार लिया था, उनके यहाँ ही पुनरपि आहार लेना पड़ता है, इसलिए मुनि एक स्थान पर चिरकाल तक नहीं ठहरते ।