मनोविनय
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पाप कार्यों में (विकथायें सुनना आदि में) अथवा सम्यक् की विराधना में जो परिणाम, उनका त्याग करना और धर्म उपकार में और सम्यक्ज्ञानादि में परिणाम होना, वह मानसिक विनय है। पाप ग्राहक चित्त को रोकना और धर्म में उद्यमी मन को प्रवर्तना ये दो भेद मानसिक विनय के हैं ।
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