मनुष्य व्यवहार
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मैं मनुष्य हूँ। शरीर आदि की समस्त क्रियाओं को करता हूँ। स्त्री-पुत्र, धन आदि के ग्रहण-त्याग का मैं स्वामी हूँ । इत्यादि मानना सो मनुष्य व्यवहार है।
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