भेद विज्ञान
शरीर आदि समस्त पर- पदार्थो से आत्मा भिन्न है ऐसा जानना अथवा अनुभव करना भेद विज्ञान है अथवा जीवादि सातों तत्वों में निज आत्म-तत्व की पृथक प्रतीति होना भेद विज्ञान है अथवा रागादि से भिन्न यह स्वात्मोत्थ सुखस्वभावी आत्मा है ऐसा जानना ही भेद विज्ञान है। मैं न देह हूँ, न मन हूँ और न वाणी हूँ उनका कारण नहीं हूँ कर्ता नहीं हूँ कराने वाला नहीं हूँ और कर्ता का अनुमोदक भी नहीं हूँ इस प्रकार परमार्थ से पर-पदार्थों में कर्ता-भोक्ता और स्वामीपने का भाव नहीं मानना भेद विज्ञान है। जो जीव गुरूपदेश से, शास्त्राभ्यास से अथवा स्वानुभव से स्व और पर के भेद को जानता है वही भेद विज्ञानी जीव सदा मोक्षमार्ग को जानता है।