भावशुद्धि
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कर्म के क्षयोपशम से उत्पन्न मोक्षमार्ग की रुचि से जिसमें विशुद्धि प्राप्त हुई है और जो रागादि से रहित है वह भावशुद्धि है अथवा मद, मान, माया और लोभ रहित भाव होना भावशुद्धि है।
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