बन्धन बद्धत्व
अनादि बंधन बद्धत्व भी साधारण गुण है। सभी द्रव्य अपने अनादि कालीन स्वभाव संतति से बद्ध हैं, सभी के अपने-अपने स्वभाव अनादि अनंत हैं अर्थात् जीव, धर्म, अधर्म, आकाश, काल और पुद्गल नाम द्रव्य क्रमशः पारिणामिक, चैतन्य, उपयोग, गतिदान, स्थितदान, अवकाशदान, वर्तना परिणाम और वर्ण गंध – रस – स्पर्श आदि पर्याय संतान के बंधन से बद्ध हैं। इन मरण में कर्मों ने आदि की अपेक्षा न होने से पारिणामिक हैं, और जो यह अनादि कालीन कर्म बंधन बद्धत्वता जीव में पाई जाती है, वह परिणामिक नहीं है किन्तु कर्मोदय निमित्तक है।