प्रवचनार्थ
द्वादशांग रूप वर्ण का समुदाय वचन है। जो अर्यते, गम्यते, परिच्छिते अर्थात् जाना जाता है वह अर्थ है। यहाँ अर्थ वद से वो पदार्थ लिए गये हैं। वचन व अर्थ ये दोनों मिलकर वचनार्थ कहलाते हैं। जिस आगम में वचन व अर्थ दोनों प्रकष्ट अर्थात् निर्दोष हैं उस आगम की प्रवचनार्थ संज्ञा है अथवा प्रकृष्ट वचनों के द्वारा जो अर्यते, गम्यते, परिच्छिदे अर्थात् जाना जाता है, वह प्रवचनार्थ अर्थात् द्वादशांग सूत्र है।