पृथक्त्व विक्रिया
- Home
- पृथक्त्व विक्रिया
अपने शरीर से भिन्न भवन, मंडप आदि अनेक रूप धारण करने की सामर्थ्य होना पृथक्त्व – विक्रिया कहलाती है। यह देवों में जन्म से पायी जाती है तथा मनुष्यों को तप व विद्या से प्राप्त होती है।
antarang tap
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now