पूर्वविदेह
सुमेरु पर्वत के पूर्व दिशा में स्थित कच्छादि 16 क्षेत्रों को पूर्व विदेह कहते हैं। उत्तरी पूर्व विदेह का सर्वप्रथम क्षेत्र कच्छा नाम का है, इसके मध्य में पूर्वो पर लम्बाई मात्र भरत क्षेत्र के विजयार्धवत् एक विजयार्ध पर्वत है। उसके उत्तर में स्थित नील पर्वत की वनवेदी के दक्षिण पार्श्व भाग में पूर्व और पश्चिम दिशा में दो कुण्ड हैं, जिनमें रक्ता, रक्तोदा नाम की दो नदियाँ निकलती हैं। दक्षिणमुखी होती हुई वे विजयार्ध की दोनों गुफाओं में स्थित निकलकर सीता नदी में जा मिलती हैं, जिसके कारण भरत क्षेत्र की भाँति यह देश भी छः खण्डों में विभक्त हो गया है। यहाँ उत्तर मलेच्छ खण्ड के मध्य एक ऋषभगिरि है, जिस पर दिग्विजय के पश्चात चक्रवती अपना नाम अंकित करता है। इस क्षेत्र के आर्यखण्ड की प्रधान नगरी का नाम क्षेमा है। इस प्रकार प्रत्येक क्षेत्र में दो नदियाँ और एक विजयार्ध के साथ छः – छः खण्ड उत्पन्न हो गये हैं। विशेष यह है कि दक्षिण वाले क्षेत्रों में गंगा-सिन्धु नदियाँ बहती हैं, पूर्व और अपर दोनों विदेहों में प्रत्येक क्षेत्र के सीता- सीतोदा नदी के दोनों किनारों पर आर्यखण्डों में मागध, वरतनु और प्रवास नाम वाले तीन-तीन तीर्थस्थान हैं।