पुष्पदन्त
नौवें तीर्थंकर । अपरनाम सुविधिनाथ । काकन्दी नगरी के राजा सुग्रीव और रानी जयरामा के यहाँ जन्म लिया। इनकी आयु दो लाख वर्ष पूर्व थी और शरीर सौ धनुष ऊँचा था । शरीर की आभा श्वेत थी। अनेक वर्ष राज्य करने के उपरान्त एक दिन अकस्मात उल्कापात देखकर विरक्त हो गए और अपने पुत्र को राज्य सौंपकर जिनदीक्षा ले ली। चार वर्ष की कठिन तपस्या के उपरांत केवलज्ञान हुआ। इनके संघ में विदर्भ आदि अठासी गणधर, दो लाख मुनि, तीन लाख अस्सी हजार आर्यिकाएँ, दो लाख श्रावक और पाँच लाख श्राविकाएँ थीं। इन्हें सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त हुआ ।