पाप
दूसरे के प्रति अशुभ परिणाम होना पाप है अथवा अनिष्ट पदार्थों की प्राप्ति जिससे होती है ऐसे कर्म को या भावों को पाप कहते हैं अथवा जो जीव को शुभ या पुण्य से दूर रखता है वह पाप है अर्हन्त आदि पूज्य पुरुषों की निन्दा करना, जीवों के प्रति निद्रयता का भाव होना, निन्दित आचरण करना आदि पाप बंध के कारण हैं। हिंसा, झूठ, चोरी कुशील एवं परिग्रह ये पाँच पाप प्रसिद्ध हैं ।