परिहार विरोध लक्षण
गुणों में परस्पर परिहार लक्षण विरोध इष्ट ही है, क्योंकि यदि गुणों का एक दूसरे का परिहार करके अस्तित्व नहीं माना जायेगा तो उनके स्वरूप के आने का प्रसंग आता है।
गुणों में परस्पर परिहार लक्षण विरोध इष्ट ही है, क्योंकि यदि गुणों का एक दूसरे का परिहार करके अस्तित्व नहीं माना जायेगा तो उनके स्वरूप के आने का प्रसंग आता है।
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