परिचारक
जिनका धर्म पर गाढ़ प्रेम है और जो स्वयं धर्म में स्थिर हैं, संसार से जो हमेशा भय युक्त हैं, ध्येयवान और क्षपक के अभिप्राय को जानने वाले हैं, प्रत्याख्यान के ज्ञाता, ऐसे परिचारक क्षपक की शुश्रूषा करने योग्य माने गये हैं। ये आहार, पानादिक पदार्थ योग्य हैं, इसका ज्ञान परिचारकों को होना आवश्यक है। क्षपक का चित्त समाधान करने वाले प्रायश्चित्त ग्रन्थ को जानने वाले आगमज्ञ स्वयं और पर का उद्धार करने में कुशल तथा जिनकी जग में कीर्ति है, ऐसे परिचारक यति हैं ।