चिन्ता
मति, स्मृति, चिन्ता और अभिनिबोध – ये एकार्थवाची शब्द हैं। 1. चिन्तन करना चिन्ता है अथवा पदार्थों के विषय में अन्तःकरण की वृत्ति का नाम चिन्ता है। 2. किसी चिन्ह को देखकर वहाँ इस चिन्ह वाला अवश्य होगा, ऐसा ज्ञान तर्क व्याप्ति व ऊहा ज्ञान या चिन्ता कहलाता है पदार्थों का आलम्बन लेने से चिन्ता परिस्पंदवती होती है। चिन्ता और ध्यान में अन्तर है। परिणामों की स्थिरता का नाम ध्यान है और चित्त का एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में चलायमान होना भावना या अनुप्रेक्षा या चिन्ता है।