चंदना
पूर्वभव नं. 3 में बंधुलता नाम की राजपुत्री थी। वर्तमान भव में चंदना नाम की राजकुमारी हुई। वर्तमान भव में राजा चेटक की पुत्री थी। एक विद्याधर काम से पीड़ित होकर उसे हर ले गया और अपनी स्त्री के डर से, महा अटवीं में उसे छोड़ दिया। किसी भील ने उसे वहाँ से उठाकर, एक वेश्या को दे दी, वेश्या ने उसे एक सेठ को बेच दिया। सेठ की स्त्री ने उससे शंकित होकर उसे कालकोठरी में डलवा दिया उसे काजी मिश्रित कोदों का भोजन देने लगी। एक समय भगवान महावीर सौभाग्य से चर्या के लिए आए तब चंदना ने उनको कोदों का ही आहार दे दिया। जिस प्रताप से उसके सर्व बन्धन टूट गए तथा वह सर्वांग सुंदर हो गयी। तथा स्त्रीलिंग छेद कर अगले भव में अच्युत स्वर्ग में देव हुआ। वहाँ से चय कर मनुष्य भव धारण कर मोक्ष पाएगा।