गुण
जो एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य से प्रथक् करता है उसे गुण कहते हैं। गुण सदा द्रव्य के आश्रित रहते हैं अर्थात् द्रव्य की प्रत्येक अवस्था में उसके साथ रहते हैं। प्रत्येक द्रव्य में अनेक गुण होते हैं। कुछ साधारण या सामान्य गुण होते हैं और कुछ असाधारण या विशेष गुण । अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व और प्रदेशत्व ये सभी द्रव्यों में पाए जाने वाले सामान्य गुण हैं। चेतना, ज्ञान, दर्शन आदि जीव के विशेष गुण हैं तथा रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि पुद्गल के विशेष गुण हैं। गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व और अवगाहनत्व- ये क्रमशः धर्म, अधर्म, काल और आकाश के विशेष गुण हैं। मूर्तत्व, अमूर्तत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व ये स्वजाति की अपेक्षा तो साधारण गुण है लेकिन विजाति की अपेक्षा असाधारण या विशेष गुण है इसलिए इन्हें साधारण गुण कहते हैं। अनुजीवी और प्रतिजीवी ऐसे दो भेद भी गुण के किए गए हैं। भाव रूप गुणों को अनुजीवीगुण कहते हैं जैसे सम्यक्त्व, चारित्र, सुख, चेतना, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदि । वस्तु के अभाव स्वरूप धर्म को प्रतिजीवी गुण कहते हैं। जैसे नास्तित्व, अचेतनत्व आदि ।