गर्भाधान क्रिया
संस्कारवान पुत्र की उत्पत्ति के लिए माता के चतुर्थ स्नान के पश्चात् गर्भाधान के पहले अर्हन्तदेव की पूजा के द्वारा मन्त्रपूर्वक जो संस्कार किया जाता है, उसे गर्भाधान क्रिया कहते हैं। भगवान के सामने तीन अग्नियों की अर्हन्तकुण्ड, गणधरकुण्ड व केवलीकुण्ड में स्थापना करके भगवान की पूजा करें पश्चात् आहुति दें फिर केवल पुत्रोत्पत्ति की इच्छा से भोगविलास निरपेक्ष समागम करें। इस प्रकार यह गर्भाधान क्रिया विधि है।