क्षुल्लक
उत्कृष्ट श्रावक के दो भेद हैं क्षुल्लक और ऐलक । क्षुल्लक श्रावक ऐलक की अपेक्षा कुछ सरल चारित्र का पालन करता है। वह एक खण्ड वस्त्र और एक कोपीन धारण करता है वह प्राणियों को बाधा नहीं पहुँचाने वाले कोमल वस्त्रादि रूप उपकरण से स्थान आदि का शोधन करता है। क्षुल्लक श्रावक भिक्षा के लिए काँसे या लोहे का पात्र रखता है तथा दोष रहित आहार दिन में मात्र एक बार सद्ग्रहस्थ के घर में बैठकर करता है वह पर्व के दिनों में नियम से उपवास करता है अपने सिर, दाढ़ी, मूँछ के बालों को कैंची या उस्तरे से साफ कराता है। क्षुल्लक सदा मुनियों के साथ निवास करता है तथा गुरूओं की सेवा विशेष रूप से दस प्रकार की वैयावृत्ति एवं अन्य अंतरंग और बहिरंग तप को करता है। यदि क्षुल्लक को किसी साधर्मी पुरुष से जल चंदन आदि पूजा करने की सामग्री मिल जाए तो उसे प्रसन्नचित्त होकर भगवान अर्हन्त या साधु का पूजन करना चाहिए।