क्रोध
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अपने और दूसरे के घात या अहित करने रूप क्रूर परिणाम को क्रोध कहते हैं । अथवा क्षमा रहित भाव होना ही क्रोध है । वह पर्वत रेखा, पृथ्वी रेखा, धूलि रेखा और जल रेखा के समान चार प्रकार का है।
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