क्रियावान द्रव्य
क्रियावान और भाववान तथा केवलभाववान की अपेक्षा द्रव्यों के दो भेद हैं। तहाँ पुद्गल और जीव तो क्रिया और भाव दोनों वाले हैं क्योंकि परिणाम द्वारा तथा संघात व भेद द्वारा दोनों प्रकार से उनके उत्पाद, व्यय व स्थिति होती है और शेष द्रव्य केवल भाववाले ही हैं, क्योंकि केवल परिणाम द्वारा ही उनके उत्पादादि होते हैं। समस्त ही द्रव्य भाव वाले हैं क्योंकि परिणाम स्वभावी हैं। पुद्गल क्रियावान भी होते हैं क्योंकि परिस्पन्दन स्वभाव वाले हैं। तथा जीव भी क्रियावान भी होते हैं क्योंकि वे परिस्पन्दन स्वभाव वाले हैं। जीव और पुद्गल ये दो द्रव्य क्रियावान हैं। धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये चारों निष्क्रिय हैं।