क्रियावाद
कोई क्रिया से ही मोक्ष मानते हैं । क्रियावादियों का कथन है कि नित्य क्रम करने से ही निर्वाण को प्राप्त होता है। कई तो गमन करना, बैठना, खड़ा रहना, खाना-पीना, सोवना, उपजना, बेचना, देखना, जानना, करना, भोगना, भूलना, याद करना, प्रीति करना, हर्ष करना, विषाद करना, द्वेष करना, जीना, मरना इत्यादि क्रियाएँ हैं, तिनिकूँ जीव आदिक पदार्थिनकैं, देखि केई कैसी क्रिया का पक्ष किया है। ऐसे परस्पर क्रियावाद करि भेद भये हैं, तिनके संक्षेप करि 180 भेद निरूपण किये हैं। विस्तार किए बहुत होय हैं।