कार्मण शरीर
सब कर्मों का प्ररोहण अर्थात् आधार उत्पादक और सुख दुःख का बीज है इसलिए कार्मण शरीर है। जो कार्मण शरीर नामकर्म के उदय से उत्पन्न होता है उसे कार्मण शरीर कहते हैं । ज्ञानावरणादि आठ प्रकार के ही कर्म स्कन्ध को कार्मण शरीर कहते हैं अथवा जो कार्मण शरीर नामकर्म के उदय से उत्पन्न होता है उसे कार्मण शरीर कहते हैं।