कायिक विनय
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आचार्य आदि गुरुजनों के आसन से नीचे आसन पर सोना, उनसे नीचे स्थान पर बैठना, उनकी आज्ञा लेकर ही आसन ग्रहण करना, सिर झुकाकर चरण- वन्दना करना, उनके पीछे शान्तभाव से चलना तथा प्रश्न पूछते समय शरीर को नम्रीभूत रखना, इस प्रकार गुरुओं के प्रति शरीर से नम्रतापूर्ण व्यवहार करना कायिक- विनय है ।
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