काय
1. औदारिक आदि शरीर रूप पुद्गल पिण्ड को काय कहते हैं अतः ‘काय’ का प्रसिद्ध अर्थ शरीरहै। 2. बहुप्रदेशीपना ही कायत्व है जिस प्रकार शरीर पुद्गल द्रव्य के प्रचय या पिंड रूप होता है उसी प्रकार धर्मादि द्रव्य भी प्रदेश प्रचय की अपेक्षा काय के समान होने से काय कहे गए हैं जो पंचास्तिकाय के नाम से प्रसिद्ध है।